गणेश चतुर्थी पूजा विधि: शास्त्रों के अनुसार सही तरीका और रोचक क्विज़ 2023

गणेश चतुर्थी पूजा विधि: इस अद्भुत पर्व पर भगवान गणेश की उपासना करने के लिए शास्त्रों के अनुसार सही तरीका जानें। स्नान, ध्यान, और आरती के साथ पूजा कैसे करें। और इसके साथ हमारे रोचक क्विज़ में भाग लें और अपने ज्ञान को परीक्षण दें!

गणेश चतुर्थी क्विज़ हिंदी में

Ganesh Chaturthi Quiz

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भगवान गणेश को शुरुआत का देवता क्यों माना जाता है?

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गणेश चतुर्थी का त्योहार कब मनाया जाता है?

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बुद्धि के देवता कौन से हैं?

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भगवान गणेश ने अपनी टूटी हुई दांत से किसे मारा था?

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भगवान गणेश का विलोम (विपरीत) नाम क्या है?

गणेश चतुर्थी स्कोर कार्ड

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Pos.NameScorePoints
1Jishant kaushik100 %5
2Krishna Kumar Choudhary100 %5
3Bheema Bhat100 %5
4Sateesha Harshadeep100 %5
5Sachin80 %4
6Mohit naik80 %4
7Darshana Bhuyan80 %4
8Darshan Sunil Patil80 %4
9Prasad Ramesh Divate80 %4
10GAURAV CHAUDHARY80 %4
11Nirupama Panda60 %3
12Imesh bawri Imesh bawri60 %3
13Voodiga Varaprasad60 %3
14Barsa sutradhar60 %3
15Shoba.L40 %2
16S.Sahana40 %2

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गणेश चतुर्थी पर्व

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान श्री गणेश की उपासना का विधान है। इस दिन पूजा-पाठ करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन को विशेष रूप से भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

सनातन धर्म में भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व है। भगवान गणेश की उपासना प्रथम देवता के रूप में की जाती है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा को गाजे-बाजे के साथ भगवान गणेश को घर लाया है और विधिवत उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गणेश चतुर्थी 2023 तिथि

हिंदू पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर दोपहर 02:09 से 19 सितंबर दोपहर 03:13 तक रहेगी। ऐसे में गणेश चतुर्थी पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन पूजा मुहूर्त सुबह 11:01 से दोपहर 01:26 तक रहेगा।

गणेश विसर्जन का समय!

वैदिक पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा को विदा किया जाता है। पंचांग में बताया गया है कि गणेश चतुर्थी पर्व का समापन इस वर्ष 28 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन होगा और इसी दिन देश भर में गणेश विसर्जन किया जाएगा।

गणेश चतुर्थी पूजा विधान

शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व के दिन साधक सुबह स्नान-ध्यान करें और पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें। शुभ मुहूर्त के समय ईशान कोण में एक साफ चौकी पर नया वस्त्र बिचकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और नितदिन सुबह व संध्या काल में विधिवत उपासना करें। पूजा के बाद आरती अवश्य करें।

गणेश चालीसा

दोहा

जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

चौपाई

जय जय जय गणपति गणराजू।

मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता।

विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजत मणि मुक्तन उर माला।

स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।

मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।

चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।

गौरी ललन विश्व-विख्याता॥

ऋद्घि-सिद्घि तव चंवर सुधारे।

मूषक वाहन सोहत द्घारे॥

कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।

अति शुचि पावन मंगलकारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी।

पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।

तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥

अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।

बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।

मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।

बिना गर्भ धारण, यहि काला॥

गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।

पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रुप है।

पलना पर बालक स्वरुप है॥

बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।

लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।

नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।

सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।

देखन भी आये शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।

बालक, देखन चाहत नाहीं॥

गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।

उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥

कहन लगे शनि, मन सकुचाई।

का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।

शनि सों बालक देखन कहाऊ॥

पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।

बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

गिरिजा गिरीं विकल हुए धरणी।

सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यो कैलाशा।

शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।

काटि चक्र सो गज शिर लाये॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो।

प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।

प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।

पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन, भरमि भुलाई।

रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।

नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।

तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

तुम्हरी महिमा बुद्ध‍ि बड़ाई।

शेष सहसमुख सके न गाई॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी।

करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।

जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै।

अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥

श्री गणेश यह चालीसा।

पाठ करै कर ध्यान॥

नित नव मंगल गृह बसै।

लहे जगत सन्मान॥

दोहा

सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।

पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

FAQ

प्रश्न: गणेश जी क्विज़ में कैसे भाग ले सकते हैं?

उत्तर: गणेश जी क्विज़ में भाग लेने का कारण है कि यह एक मजेदार और शिक्षाप्रद तरीका है गणेश जी के बारे में ज्ञान प्राप्त करने का। इस क्विज़ के माध्यम से लोग गणेश जी की कथाओं, प्रतीकों, और महत्व को समझते हैं और अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं।

प्रश्न: गणेश जी क्विज़ की भाषा क्या होगी?

उत्तर: गणेश जी क्विज़ हिंदी भाषा में उपलब्ध होगा क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और धर्म के महत्वपूर्ण हिस्से के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए हिंदी भाषा का उपयोग करके लोग गणेश जी के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं।

प्रश्न: इस क्विज़ में कितने प्रश्न होंगे?

उत्तर: गणेश जी क्विज़ में 10 से 15 प्रश्न होंगे क्योंकि यह एक संक्षिप्त और रोचक क्विज़ है। इससे लोगों को आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने का और अपनी सीमाओं के अंदर एक आकर्षक अनुभव प्राप्त करने का मौका मिलता है।

प्रश्न: क्या इस क्विज़ का कोई समय सीमा होगी?

उत्तर: गणेश जी क्विज़ के प्रत्येक प्रश्न के लिए समय सीमा होती है, जिसका कारण है कि यह ज्ञान की प्रतियोगिता को सम्बोधित करता है। समय सीमा से पूर्व जवाब नहीं देने पर उत्तर मान्य नहीं होगा, जो लोगों को जवाबों को सोचने और उन्हें समय में देने के लिए प्रेरित करता है।

प्रश्न: क्या इस क्विज़ के परिणाम देखे जा सकते हैं?

उत्तर: हाँ, गणेश जी क्विज़ के परिणाम आपको आपके प्रदर्शन का एक मापदंड प्रदान कर सकते हैं। यह आपको आपके ज्ञान स्तर को मापने और समीक्षा करने का मौका देता है और आपको अपने जवाबों की जाँच करने के लिए प्रेरित करता है।

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